
शिक्षा को लेकर जोधपुर प्रान्त ने किया लगभग 29377 विद्यार्थियों से संपर्क
भीनमाल -कोरोना तालाबन्दी की परिस्थिति में शिक्षा जगत के प्रश्नों को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने 11-12 मई को जोधपुर प्रान्त के 29 हजार से अधिक विद्यार्थियों से संपर्क किया जिसमे 1090 कार्यकर्ताओं ने व्यक्तिगत रूप से कॉल के माध्यम से संपर्क किया। विद्यार्थियों से संवाद के आधार पर शिक्षा संबन्धी शंकाओं को सुस्पष्ट करते हुए एबीवीपी सामान्य प्रोन्नति (Mass Promotion) की अपेक्षा कैरी ओवर, ओपन बुक परीक्षा, रिपोर्ट तैयार करना, सतत विद्यार्थी मूल्यांकन सहित विभिन्न परीक्षा पद्धतियों को अपनाने की मांग करती है।
कोविड-19 महामारी के दौरान छात्रों ने अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े विषयों पर अपनी चिन्ता, मन में स्थित शंका तथा समाधान हेतु किए जाने वाले सुझावों से हमें अवगत कराया है। एबीवीपी के संपर्क अभियान के दौरान छात्रों ने परीक्षा संबंधी विषयों को प्रमुखता से उठाया है। इंटरनेट की समस्या तथा विश्वविद्यालयों के पास ऑनलाइन परीक्षा करवाने के लिए संसाधन उपलब्ध नहीं होने के कारण छात्रों ने एक सुर में कैरी ओवर और इन – हाउस जैसे विकल्प को परीक्षा के रूप में अपनाने की मांग की है।
विश्वविद्यालय परीक्षा सम्बंधी निर्णय लेने हेतु स्वतन्त्र हैं परन्तु कई राज्य सरकारें विश्वविद्यालय की स्वायत्ता का हनन करते हुये स्वयं निर्णय ले रही हैं। एबीवीपी का परीक्षा के संदर्भ में स्पष्ट मत है, कि ऐसा कोई भी विकल्प नहीं अपनाना चाहिए जिससे दीर्घकाल में एक भी छात्र का अहित हो।
छात्रों ने डिजास्टर मैनेजमेंट, योग आदि को पाठ्यक्रम में शामिल करने, तकनीकि संपन्न कक्षा का निर्माण, छात्रों के लिए विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सम्मिलित होने की आयु में छूट (तालाबंदी की विशेष परिस्थिति में) आदि सुझाव हमें दिए हैं।एबीवीपी इन विषयों पर विस्तृत चर्चा के उपरांत ,मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री जी को ज्ञापन सौंपेगी।
एबीवीपी के प्रांत मंत्री मोहन लाल देवासी ने कहा कि, “365 दिन सक्रिय रहने की कार्यशैली के अनुरूप सम्पर्क अभियान के माध्यम से एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने व्यापक स्तर पर छात्रों का मत जानने का प्रयास किया है। हमें छात्रों से मिले सुझावों के आधार पर विभिन्न स्तर पर प्रशासन को ज्ञापन सौंपेंगे। छात्र समुदाय के हितों के लिए बड़े बदलाव की आवश्यकता है जिस हेतु जमीनी स्तर पर कड़े कदम उठाए जाना आवश्यक है, तभी हम शिक्षा क्षेत्र में समय की मांग के अनुसार परिवर्तन कर सकेंगे। छात्र समुदाय को बड़े बदलावों के अनुसार स्वयं को तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ाना होगा।”
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